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NIGHT WALKERS.

शायद कोई है...

दिन ढलने के कगार पर पहुंच गया, शाम के आगाज़ ने भी दस्तक दे दी , लेकिन अभी तक कार्टर को उस वीरान बस्ती में कोई न मिला... वह बेबस थका हारा सा प्रतीत होने लगा, जो मंज़िल के इतने क़रीब पहुंचकर भी अपने सफ़र का अन्त नहीं कर पाया। मायूस कार्टर सन्नाटे की बस्ती की सुनसान सड़क पर सिर झुका कर चलने लगा कि तभी अचानक, 

" अरे वाह इस बस्ती के फूड एंड ड्रिंक स्टोर की खिड़की टूटी हुई है... देखता हूं कि अगर अन्दर कोई नहीं हुआ तो खिड़की से प्रवेश कर कुछ खाने पीने का समान उठा लूंगा,  भूख भी जोरों की लगी है और प्यास ने तो गले तथा होटों को सुखाकर रख दिया है," कार्टर उस स्टोर की टूटी हुई कांच की खिड़की देखकर ख़ुद से बातें करते हुए कहता है और लपक कर उस ओर बढ़ने लगता है।

कार्टर उस स्टोर की खिड़की के पास पहुंचकर आस पास देखता है और फ़िर अन्दर झांक कर स्टोर के चारों ओर नज़रें घुमाकर देखता है... स्टोर के भीतर कोई भी मौजूद नहीं था, अतः कार्टर इसका फायदा उठाकर स्टोर की टूटी खिड़की से अन्दर प्रवेश कर जाता है और फिर अपने आस पास अच्छी तरह से गर्दन घुमाकर देखता है, कार्टर ख़ुद को उस स्टोर में बिलकुल अकेला पाता है, वह बिना मौका गवाएं खाने पीने की चीजों की ओर लपकता है। 

" क्या ये चिप्स, कुकीज़ और चॉकलेट्स बिलकुल सही हैं, मुझे इनके एक्सपायरी डेट देखने पड़ेंगे, कहीं इन्हें खाकर मुझे फूड प्वाइजन ने हो जाए... खाने पीने की चीजों से तो भरा हुआ है ये स्टोर, मुझे अपनी ज़रूरत के लिए जो भी चीज़ें चाहीए सबकी एक्सपायरी डेट चेक करना पड़ेगा... ये काम मुझे जल्द से जल्द करना पड़ेगा क्यूंकि बहुत जल्द शाम हो जाएगी, उससे पहले मुझे इस मनहूस बस्ती से बाहर निकलना पड़ेगा जिसमें मातम का सन्नाटा छाया हुआ है, पता नहीं क्या मन्हुसियत फैली है यहां पर," कार्टर कुछ खाने पीने की चीजों को हाथों में लेकर उनकी पैकिंग डेट चेक करने लगता है और अपने मन में विचार करते हुए, अपने लिए खाने पीने की चीजों को एक पॉली बैग में भर लेता है... जल्द ही कार्टर अपने लिए खाने पीने के सामानों को लेकर उसी खिड़की से बाहर निकल जाता है और फ़िर से उस सुनसान सड़क पर अागे बढ़ने लगता है। 

कार्टर को उस सन्नाटे की बस्ती की सीमा को पार करने में ज़्यादा समय नहीं लगा और वह जल्द ही उस मनहूस बस्ती से काफ़ी दूर निकल गया... अब कार्टर अपने लिए एक सुरक्षित जगह तलाशने लगा , जहां बैठकर वह सुकून से अपनी भूख और प्यास मिटा सके... कार्टर एक उचित स्थान देखकर वहां बैठकर विश्राम करने लगता है तथा जल्द ही अंगड़ाइयां लेता हुआ अपनी पीठ सीधी करने के लिए , ज़मीन पर फैलकर लेट जाता है और अपने पास रखे हुए पॉली बैग से एक चॉकलेट का पैकेट निकालकर उसे फाड़कर चॉकलेट खाने लगता है। 

" उम्म ss आ ss हा ss हा ss हा, क्या बेहतरीन स्वाद है इस चॉकलेट का या फ़िर मुझे काफ़ी देर बाद कुछ खाने को मिला है, इसलिए ऐसा लग रहा है... जो भी हो इस वक़्त तो ये चॉकलेट जन्नत का मज़ा दे रही है, एक कोक का भी केन खोल खोल लेता हूं... शुक्र है मुझे उस स्टोर से बियर के भी केन मिल गए, उन्हें रात में इस्तेमाल कर लूंगा, अभी शाम होने को है इसलिए कुछ हल्का फुल्का खा पी लेता हूं," कार्टर ने अपने मन में विचार करते हुए ख़ुद से कहा और फिर उसी पॉली बैग से कोक का केन निकाल उसे भी खोल कर पीने लगता है। 

" या ss आ ss ह, मज़ा आ गया, शुक्र है ऊपर वाले तूने कोक और पेप्सी बनाने की अक्ल दुनिया वालों को बांट दी, कम से कम अब कोई प्यासा नहीं मरेगा... वाह मज़ा आ गया, बिना पानी के एेसे भी इन्सान जी नहीं सकता है, अब तो कम से घंटो की प्यास बुझ गई," कार्टर कोक के केन से कुछ घूंट निचे अपने हलक में उतारकर उत्साहपूर्वक ख़ुद से बातें करते हुए कहता है और से कोक के दो तीन घूंट अपने हलक के नीचे उतार लेता है। 

जल्द ही शाम अंधकार की चादर ओढ़ सब कुछ अपने आगोश में ढकने लगती है और सूर्य की रौशनी फीकी पड़ने लगती है। एेसे में कार्टर बिलकुल निश्चिंत होकर खाने पीने में जुटा रहता है कि तभी अचानक,

" चर्र ss र ss खटाक," पास के जंगल की झाड़ी से किसी के सूखे पत्तों और कमज़ोर टहनियों पर क़दम रखने की आवाज़ सुनाई पड़ती है, जो कार्टर के भी सतर्क कानों तक पहुंचती है और उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है... कार्टर फ़ौरन उस दिशा की ओर अपनी गर्दन घुमाकर देखता है, उसे झाड़ियों के पीछे छुपी किसी अजनबी की परछाईं दिखाई पड़ती है, जो उसके रौंगटे खड़े कर देती है और दिल की धड़कनों को बढ़ा देती है। 

" आख़िर कौन हो सकता है, जो उन सुखी झाड़ियों के पीछे साफ़ साफ़ दिख रहा है, मुझे देखकर भी वह नहीं भाग रहा है... कौन है ये अजनबी जो इस तरह छुपकर मुझ पर नज़र रखे हुए है, अब तक तो उसे पता चल गया होगा कि मैं भी उसे देख रहा हूं, तो फ़िर वह भाग क्यूं नहीं रहा है, क्या मेरा पुकार लगा उसे अपने पास बुलाना उचित रहेगा... चलो एक बार कोशिश करने में क्या हर्ज है... सुनो , तुम जो कोई भी हो मैंने तुम्हें देख लिया है, अब छुपने से कोई फ़ायदा नहीं है, तुम बाहर आ सकते हो, मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है... मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाने वाला हूं, मुझे अपना दोस्त ही समझो और बाहर आ जाओ," कार्टर झाड़ी के पीछे छुपी उस परछाईं को देखकर खुद से बातें कर अपने मन में विचार करता है और फ़िर उस अजनबी को पुकार लगाकर अपने पास बुलाने का फैसला कर लेता है तथा ज़ोर से पुकार कर उस अजनबी परछाईं कहता है।

जल्द ही वो अजनबी परछाईं उसकी बातों को मान लेती है और घनी सुखी झाड़ियों के इलाकों से बाहर निकलने के लिए उसकी ओर बढ़ती है... जैसे ही जैसे वो अजनबी परछाईं कार्टर के नज़दीक पहुंचती है, उसकी आंखों की दृष्टी साफ़ होने लगती है... कार्टर को ये पता चलता है कि जो अजनबी परछाईं उस पर इतनी देर से नज़र रख रही थी, वो कोई पुरुष नहीं बल्कि एक युवती है, जिसके सिर पर भी गहरा ज़ख़्म लगने की वजह से ख़ून की बूंदे चेहरे से बहते हुए उसके कपड़ों को तर किए हुए हैं, हालांकि उसने भी अपने सिर पर एक रुमाल बांध रखा था ख़ून को रोकने के लिए, बिलकुल उसी तरह जिस तरह कार्टर ने अपने सिर के ज़ख्म पर रुमाल बांध रखा था, पर फ़िर भी ख़ून की बूंदे रुक कर बह रहीं थीं।
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.

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1 Comments

Reena yadav

14-May-2024 11:21 PM

👍👍

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